Thursday, October 14, 2010

होटलों में महिलाओं का शराब परोसना गलत

दिल्ली आबकारी कानून के तहत अब लड़कियाँ होटलों, रेस्तराँ, पब, बार आदि मयखानों में नशेड़ियों के गिलासों में शराब उड़ेलेंगी। सरकार ने ४ अक्टूबर से इस बचकाने कानून को लागू कर दिया है। एक तरफ जहाँ सरकार, न्यायपालिका और पुलिस महिलाओं की रक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ अब इस कानून से नशेड़ियों को लड़कियों से छेड़खानी करने की खुलेआम आजादी दी जा रही है। इस कानून से निश्चित ही मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड जैसे मामलों की पुनरावृत्ति होगी। जेसिका लाल भी कभी एक होटल में पार्ट-टाइम जॉब के तौर पर शराब परोशने का काम करती थीं, जिसके दौरान कुछ रंगीन मिजाज लोगों ने उसे गलत काम के लिए उकसाया और न करने पर उसे गोली मार दी। इस तरह के और भी कई मामले सामने आए हैं। फिर भी हमारी न्यायपालिका की आँखें नहीं खुल पा रही हैं। यह सच है कि भारतीय मानसिकता अभी इतनी परिपक्व और विकसित नहीं हुई है कि वह अपने घर की इज्जत यानी लड़कियों और बहुओं को ऐसा काम करने की इजाजत दे दे। हमारी संस्कृति ऐसे कानून को कभी भी स्वीकार नहीं करेगी। आबकारी कानून में यह बताया गया है कि होटलों में लड़कियाँ शराब को परोसेंगी लेकिन यह बात बिलकुल नदारद है कि इनकी सुरक्षा की गारंटी कौन लेगा। यह तो जगजाहिर है कि शराब पीने के बाद आदमी अपना आपा खो देता है। नशे में वह शराब परोसने बाली लड़की को बुरी नजर से ताकेगा और मौका पाते ही भेड़िए की तरह टूट पडेग़ा। इस कानून से दारू की बिक्री ज्यादा होगी क्योंकि लोग लड़कियों के हाथों से परोसी जानी वाली दारू का लुत्फ उठाने जाएँगे जिनमें कम उम्र के लड़कों की संख्या सबसे ज्यादा रहेगी। होटलों के साथ सरकारी खजाने भर जाएँगे और साथ ही लोगों की शराब पीने की आदत में भी इजाफा हो जाएगा। सरकार हमेशा दोमुँही बात करती है मसलन एक तरफ शराब पर प्रतिबंध लगाने की बात करती है तो दूसरी ओर कानून बनाकर शराब बेचने का नया तरीका ईजाद कर लेती है। यानी चित भी मेरी पट भी मेरी? सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने पर प्रतिबंध लगाकर दोषी के पकड़े जाने पर पाँच हजार का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह भी सरकार की एक चाल है कि लोग सार्वजनिक स्थानों पर शराब न पीएँ बल्कि होटलों, रेस्तराँ, पब आदि जगहों पर ही जाएँ।

कहावत है कि नारी का सम्मान सबसे बड़ा सम्मान है। फिर क्यों सरकार नारी की इज्जत निलाम करने पर तुली है। सवाल उठता है कि जो ऐसे कानूनों की हिमायत करते हैं, क्या वे अपनी लड़कियों और बहुओं को मयखानों में शराब परोसने के लिए भेजेंगे? शायद नहीं। समाज कितना भी क्यों न बदल जाए लेकिन हमारी सभ्यता नहीं बदल सकती। समाज कभी इजाजत नहीं देगा कि कोई महिला अशोभनीय काम करे।

साभारः नईदुनिया अखबार से भावना सिंह का लेख